Chapter: 1 | Chanakya Niti In Hindi

chanakya niti

Chanakya Niti In Hindi

मैं तीनों लोको – धरती, आकाश, पाताल के स्वामी सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक परमेश्वर विष्णु को सिर झुका कर प्रणाम करता हूं। प्रभु को प्रणाम करने के बाद में अनेक शास्त्रों से एकत्रित किए गए राजनीति से सम्बंधित ज्ञान का वर्णन करूंगा।

जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगा। उसे इस बात का पता चले गा कि किन बातों का अनुसरण करना चाहिए और किंका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा। इस लिए लोगों का भला करने के लिए में उन बातो को कहूंगा जिनसे लोग सभी चिजो को सही परिपेक्ष मै देखे गे।


एक पंडित भी घोर कष्ट मै आ जाता है यदि वह किसी मूर्ख को उपदेश देता है, यदि एक दुष्ट पत्नी का पालन पोषण करता है व किसी दुखी व्यक्ति के साथ अत्यंत घनिष्ट संबंध बना लेता है।


दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नोकर के साथ निवास करना साक–साक मृत्यु के समान है।


व्यक्ति को आने वाली मुसीबत से निपटने के लिए धन संचय करना चाहिए, उसे धन संपदा त्याग कर भी पत्नी की शुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन यदि बात आत्मा की शुरक्षा की हो तो उसे धन और पत्नी दोनों को तुच्छ समझना चाहिए।


भविष्य में आने वाली मुसीबतों के लिए धन एकत्र करे ऐसा ना सोचे कि धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी, क्योंकि जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।


उस देश मै निवास ना करे जहां आपकी कोई इज्जत नहीं, आप कोई रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपका कोई मित्र नहीं और जहां आप कोई ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते।


ऐसी जगह पर एक दिन भी निवास न करे जहां निम्नलखित पांच चीजें न हो :

एक धनवान व्यक्ति।

एक ब्राह्मण जो वैदिक शास्त्रों में निपुण हो।

एक राजा।

एक नदी।

और एक चिकत्सक।


बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहां रोजगार कमाने का माध्यम ना हो, जहां लोगों को किसी बात का भ्य न हो, जहां लोगों को किसी बात की लज्जा ना हो, जहा कोई बुद्धिमान ना हो और जहां लोगो की परवर्ती दन धर्म की न हो।


नौकर की परीक्षा तब के जब वह कर्तव्य का पालन न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरे हो, मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों मे करे और जब आपका समय अच्छा न चल रहा हो तब अपनी पत्नी की परीक्षा करे।


अच्छा मित्र वहीं है जो हमें निम्नलिखित परिस्थितियों में न त्यागे:

आवश्कता पड़ने पर।

किसी दुर्घटना मे पड़ने पर।

जब आकल पड़ा हो।

जब युद्ध चल रहा हो।

जब हमें राजा के दरबार मे जाना हो।

और जब हमे शमशान जाना पड़े।


जो व्यक्ति किसी नाशवान चीज के लिए कभी नाश ना होने वाली चीज को छोड़ देता है तब उसके हाथ से आविनाशी वस्तु तो चली जाती है और उसके साथ इसमें कोई संदेह नहीं कि नाशवान वस्तु को नहीं वो खो देता है।


एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदार घर की आविवाहित कन्या के व्यंग होने के बाद भी उस कन्या स विवाह करना चाहिए, उसे किसी हिन घर की अत्यंत सुंदर स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए शादी विवाह हमेशा बराबरी मै उचित होता है।


इन चार पर कभी विश्वास ना करे:

नदिया।

जिस व्यक्ति के पास अस्त्र शस्त्र हो।

नाखून और सिंग वाले पशु पर।

और राज घराने के लोगो पर।


यदि हो सके तो विश से भी अमृत निकाल ले, यदि सोना गंदगी मै पड़ा है तो उसे उठाए धोए और ग्रहण करे, निचले कुल में जन्म लेने वाली से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करे, उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी सर्वगुण सम्पन्न है और आपको कोई सिख देती हो तो उस ग्रहण करे।


महिलाओं में पुरुषों की अपकेक्षा भूख दो गुना, लज्जा चार गुना, साहस छः गुना और काम करने की शक्ति आठ गुना जोनी चाहिए।

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